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धनिया की फसल

मार्च-अप्रैल में इन टॉप सब्जियों की खेती से मिलेगा मोटा मुनाफा

मार्च-अप्रैल में इन टॉप सब्जियों की खेती से मिलेगा मोटा मुनाफा

आजकल रबी की फसल की कटाई का समय चल रहा है। मार्च-अप्रैल में किसान सब्जियों की बुवाई करना शुरू कर देते हैं। लेकिन किसान कौन सी सब्जी का उत्पादन करें इसका चयन करना काफी कठिन होता है। किसानों को अच्छा मुनाफा देने वाली सब्जियों के बारे में हम आपको जानकारी देने वाले हैं। 

दरअसल, आज हम भारत के कृषकों के लिए मार्च-अप्रैल के माह में उगने वाली टॉप 5 सब्जियों की जानकारी लेकर आए हैं, जो कम वक्त में बेहतरीन उपज देती हैं। 

भिंडी की फसल (Okra Crop)

भिंडी मार्च-अप्रैल माह में उगाई जाने वाली सब्जी है। दरअसल, भिंडी की फसल (Bhindi Ki Fasal) को आप घर पर गमले अथवा ग्रो बैग में भी सुगमता से लगा सकते हैं। 

भिंडी की खेती के लिए तापमान 25-35 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त माना जाता है। आमतौर पर भिंडी का इस्तेमाल सब्जी बनाने में और कभी-कभी सूप तैयार करने में किया जाता है।

खीरा की फसल (Cucumber Crop)

किसान भाई खीरे की खेती (Cucumber cultivation) से काफी अच्छा लाभ कमा सकते हैं। दरअसल, खीरा में 95% प्रतिशत पानी की मात्रा होती है, जो गर्मियों में स्वास्थ्य के लिए अत्यंत लाभकारी होती है। गर्मियों के मौसम में खीरा की मांग भी बाजार में काफी ज्यादा देखने को मिलती है। 

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अब ऐसी स्थिति में अगर किसान अपने खेत में इस समय खीरे की खेती करते हैं, तो वह काफी शानदार कमाई कर सकते हैं। खीरा गर्मी के सीजन में काफी अच्छी तरह विकास करता है। इसलिए बगीचे में बिना किसी दिक्कत-परेशानी के मार्च-अप्रैल में लगाया जा सकता है। 

बैंगन की फसल (Brinjal Crop)

बैंगन के पौधे (Brinjal Plants) को रोपने के लिए दीर्घ कालीन गर्म मौसम की आवश्यकता होती है। साथ ही, बैंगन की फसल के लिए तकरीबन 13-21 डिग्री सेल्सियस रात का तापमान अच्छा होता है। क्योंकि, इस तापमान में बैंगन के पौधे काफी अच्छे से विकास करते हैं।

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ऐसी स्थिति में यदि आप मार्च-अप्रैल के माह में बैंगन की खेती (baingan ki kheti) करते हैं, तो आगामी समय में इससे आप अपनी आमदनी को बढ़ा सकते हैं। 

धनिया की फसल (Coriander Crop)

एक अध्यन के अनुसार, हरा धनिया एक प्रकार से जड़ी-बूटी के समान है। हरा धनिया सामान्य तौर पर सब्जियों को और अधिक स्वादिष्ट बनाने के कार्य करता है। 

इसे उगाने के लिए आदर्श तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस काफी अच्छा माना जाता है। ऐसे में भारत के किसान धनिया की खेती (Coriander Cultivation) मार्च-अप्रैल के माह में सुगमता से कर सकते हैं।

प्याज की फसल (Onion Crop)

प्याज मार्च-अप्रैल में लगाई जाने वाली सब्जियों में से एक है। प्याज की बुवाई के लिए 10-32 डिग्री सेल्सियस तापमान होना चाहिए। प्याज के बीज हल्के गर्म मौसम में काफी अच्छे से विकास करते हैं। इस वजह से प्याज रोपण का उपयुक्त समय वसंत ऋतु (Spring season) मतलब कि मार्च- अप्रैल का महीना होता है। 

बतादें, कि प्याज की बेहतरीन प्रजाति के बीजों की फसल लगभग 150-160 दिनों में पककर कटाई के लिए तैयार हो जाती है। हालांकि, हरी प्याज की कटाई (Onion Harvesting) में 40-50 दिन का वक्त लगता है।

Dhania ki katai (धनिया की कटाई)

Dhania ki katai (धनिया की कटाई)

जैसा कि हम सब जानते हैं कि भारत एक उपजाऊ भूमि है यहां हर तरह की फसलें उगाई जाती हैं। उसमें से एक धनिया भी है धनिया जिसको इंग्लिश भाषा में coriander भी कहते हैं। धनिया के एक नहीं कई सारे फायदे हैं फायदे के साथ ये खाने को जायकेदार  भी बनाता है। धनिया में पाए जाने वाले तत्व जैसे डाइटरी फाइबर ,प्रोटीन ,विटामिन सी का मुख्य स्त्रोत होता है। साथ ही साथ इसमें विटामिन बी3 कैलशियम ,मैग्निशियम, मैग्नीज, आयरन आदि भी मौजूद होते हैं। आइये जानते है धनिये की कटाई के बारे में !

धनिया की कटाई (Coriander Harvesting) in Hindi:

धनिया की कटाई की प्रक्रिया कुछ इस प्रकार है जिसके द्वारा धनिया की कटाई की जाती है:
  • जब धनिया की फसल पूरी तरह से पक जाती है तो इसके सूखने के बाद इसकी खूब अच्छी तरह से तोड़ने( तुड़ाई )की प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाता है।
  • तुड़ाई के बाद इसे खूब अच्छे साफ पानी से धोया जाता है। 30 से 40 दिन पूर्व बीत जाने के बाद।
  • धनिया की कटाई से पहले धनिया के बीज को स्टोर करना होता है। जब धनिया का पौधा भूरा रंग का हो जाए। तो ही उसे काट कर एक कागज की थैली में रख दिया जाता है।
  • थैली को आपको कहीं दीवार पर लटका कर रखना होता है। उसके पौधे को सूखने से बचाने के लिए।जब तक सारे बीच थैली में ना गिर जाए।

कुछ इस प्रक्रिया द्वारा किसान धनिया की कटाई करते है।

धनिया की गिनती मसाला वर्गीकरण फसलों में होती है (Coriander is Counted in Spice Classification Crops) in Hindi:

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  • धनिया की मांग पूरे साल मार्केट में बनी रहती है।
  • मार्केट में धनिया की लगातार मांग देते हुए। धनिया की बीज को अच्छी तरह से कंटेनर में स्टोर कर भी रखा जाता है।
  • पत्तियों को सुखाकर इसे स्टोर कर रखा जाता है।
  • धनिया को सुखाने के लिए कृषि इसे ऊंची जगह पर लटका कर रख देते है जिसके बाद धनिया अच्छे से सूख जाने के बाद कंटेनर में स्टोर हो सके।
  • धनिया की कई किस्में और इसकी बहुत सारी बीच काफी मात्रा में उपयुक्त हैं।

धनिया की फसल कितने दिन में तैयार होती है ( In How Many Days Coriander Crop is Ready) in Hindi:

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  • धनिया की फसल उगाने के लिए इसकी सिंचाई करनी होती है। जिसमें लगभग30 से 35 दिन का समय लगता है।
  • धनिया फसल की दूसरी सिंचाई का समय लगभग 50 से 60 दिन का होता है। साख फूटने के बाद यह सिंचाई की जाती है।
  • सिंचाई के बाद धनिया के फूल आना शुरू हो जाते हैं तथा बीच बनने की अवस्था शुरू हो जाती है
  • यह सभी सिंचाई करने के बाद धनिया की एक अच्छी फसल तैयार हो जाती है। 90 से 100 दिन के उपरांत आपको धनिया की अच्छी फसल की प्राप्ति होती है।

धनिया की खेती का समय ( Coriander Cultivation Time) in Hindi:

dhaniya ki kheti
  • धनिया की खेती का सही समय रबी का मौसम है।यह रबी के मौसम में बोई जाने वाली फसल है।
  • धनिया फसल की जोताई का समय 15 अक्टूबर से 15 नवंबर के बीच का होता है जब इस फसल को बोया जाता है।
  • धनिया की अच्छी हरी पत्तियों को प्राप्त करने के लिए आपको दिसंबर तक का इंतजार करना होता है।
  • धनिया को उगाने के लिए डाली जाने वाली खाद्य कृषि विशेषज्ञों के अनुसार चुनी जाती है।
  • विशेषज्ञों द्वारा खेत को तैयार करने के लिए गोबर की खाद मिट्टी में सही तरह से मिलाना होता है।
  • जिसकी मात्रा 100 से 150 कुंटल होनी चाहिए। इसकी खेती के लिए नत्रजन 80 किलोग्राम होना आवश्यक है।
  • इसमें करीब 50 किलो पोटाश तथा फास्फोरस की आवश्यकता पड़ती है।
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धनिया की फसल में सल्फर कब डालते हैं( When to Add Sulfur in Coriander Crop) in Hindi:

Coriander Crop धनिया की फसल के लिए सल्फर बहुत ही उपयोगी होते हैं। इसको किस प्रकार इस्तेमाल करना है? इसकी कितनी मात्रा में आपको सिंचाई करनी होती है? यह सभी सवालों के जवाब कुछ निम्न प्रकार है:
  • एक 1000 लीटर पानी में आपको सिर्फ 1 लीटर सल्फर मिलाकर शाम के समय फसलों पर छिड़काव करना होता है।
  • शाम के समय आपको हल्की सिंचाई करने के दौरान मेंढ के हर तरफ धुआं करना होता है।
  • यदि आपको पाला पड़ने की आशंका दिखाई दे तो आप सबसे पहले डाई मिथाइल सल्फो ऑक्साईड को 75 ग्राम की मात्रा में 1000 लीटर पानी में अच्छे से मिलाकर पूरी तरफ छिड़काव कर दें।

धनिया के फायदे (Benefits of Coriander) in Hindi

dhaniya ke fayade  धनिया एक नहीं बल्कि कई तरह से आपके लिए उपयोगी साबित है।धनिया की उपयोगिता कुछ इस प्रकार है :
  • डायबिटीज से आजकल हर व्यक्ति परेशान है। डायबिटीज से होने वाले नुकसान हमारे शरीर को कमजोर बना रहे हैं। धनिया आपके डायबिटीज को कंट्रोल करता है।
  • धनिया रामबाण है, जो आपके ब्लड शुगर को लेवल में बना कर रखता है।
  • किडनी के रोग को रोग मुक्त करने के लिए भी यह बहुत ही असरदार साबित हुआ है।
  • यदि आप बार-बार अपनी पाचन क्रिया से परेशान हैं। तो आप रोजाना धनिया का सेवन करें यह आपकी पाचन शक्ति को मजबूत बनाता है।
  • कोलेस्ट्रोल को कंट्रोल में रखता है।
  • आंखों की सुरक्षा तथा आंखों की रोशनी को बढ़ाने का भी कार्य करता है।
  • फसल की कटाई की शुरुआत उसका कद 20 से 25 होने के बाद करनी चाहिए। हरी पत्तियों को काटकर अलग कर दें।
  • आपको यह कटाई तीन से चार बार करनी होती है। पूरी कटाई हो जाने के बाद आपको 6 से 7 दिनों तक धूप में फसल को सूखने देना है।
  • धनिया की पत्तियों को चबाने से मुंह सुगंधित रहता है तथा इसको चबाने से हमारे दांतों और मसूड़ों को कई तरह के फायदे पहुंचते हैं।
  • धनिया में मौजूद मिनरल इसको और भी ज्यादा उपयोगी बनाता है।धनिया अपने बेमिसाल फायदे के लिए जानी जाती हैं।
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निष्कर्ष (Conclusion)

Dhaniya crop Conclusion हमारी इस पोस्ट द्वारा आपने धनिया की कटाई और धनिया से जुड़ी सभी आवश्यक बातों को जान लिया होगा, तो हम आपसे यह उम्मीद करते हैं।कि आप हमारी इस पोस्ट को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें और आगे आपके जो भी सवाल हो। जानने के लिए संपर्क करें, हम उम्मीद करते हैं यह पोस्ट आपको जरूर पसंद आई होगी।
धनिया का उपयोग एवं महत्व [Dhaniya (Coriander) uses & importance in hindi]

धनिया का उपयोग एवं महत्व [Dhaniya (Coriander) uses & importance in hindi]

भारत में धनिया रसोई घर में एक मुख्य भूमिका निभाती है, क्योंकि धनिया का उपयोग विभिन्न विभिन्न प्रकार से किया जाता है। धनिया का उपयोग सिर्फ खाने में ही नहीं, बल्कि चाट, सलाद ,सब्जियों को ऊपर से सजाने तथा विभिन्न विभिन्न तरह से धनिया का इस्तेमाल किया जाता है। इसीलिए भारतीय रसोइयों में धनिया का अपना एक मुख्य स्थान है। जो कोई और नहीं ले सकता हैं। यह अपनी खुशबू के साथ विभिन्न प्रकार के गुणों को भी अपने अंदर समेटे हुए रहती है। जानिए धनिया का उपयोग और महत्व ।

धनिया का उपयोग एवं महत्व (Use and importance of coriander)

भारत देश मसालों की भूमि के लिए प्रसिद्ध है और यह प्राचीन काल से सुनिश्चित है।धनिया की पत्तियां और बीज खाने को खुशबूदार और जैकेदार बनाते हैं। धनिया की पत्तियां खाने में खुशबू और इनके बीज में विभिन्न प्रकार के औषधि गुण होते हैं। जिसको खाने से हमारे शरीर को लाभ पहुंचता है।धनिया के औषधि गुणों का उपयोग कुलिनरी,डायरेटिक, कार्मिनेटीव इत्यादि में किया जाता है। धनिया उत्पादक करने वाले मुख्य क्षेत्र कुछ इस प्रकार है जैसे: राजगढ़ ,विदिशा ,शाजापुर छिंदवाड़ा,मंदसौर, म.प्र के गुना आदि। प्राप्त की गई जानकारियों के अनुसार मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा धनिया की खेती की जाती है। मध्यप्रदेश में धनिया की खेती करीबन 1,16,607 की दर पर होती है। इन खेती के आधार पर 1,84,702 टन धनिया की उत्पादकता की प्राप्ति की जाती है। 

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धनिया की फसल के लिए उपयुक्त जलवायु:

धनिया की फसल के लिए सबसे अच्छा मौसम ठंडी का होता है। ठंडी और शुष्क मौसम धनिया की उत्पादकता को बढ़ाता है। धनिया की फसल के लिए सबसे अच्छा तापमान 25 डिग्री से 26 डिग्री सेल्सियस का माना जाता है।किसानों के अनुसार धनिया की फसल शीतोष्ण जलवायु की फसल होती है। धनिया की फसल फूल और दाना का रूप प्राप्त करने के लिए पाला रहित मौसमो पर निर्भर होती हैं। ज्यादा पाला धनिया की फसल को खराब कर देता है।

धनिया की फसल के लिए सिंचाई

धनिया की फसल के लिए सबसे उपयोगी दोमट मिट्टी होती है। खेतों में जल निकास की अच्छी व्यवस्था करना बहुत ही जरूरी होता है।क्षारीय और लवणी भूमि को धनिया की फसल सहन नहीं कर पाती, धनिया की फसल दोमट मिट्टी और मटियार दोमट मे बहुत अच्छी तरह उत्पादन करती हैं।धनिया की फसल के लिए मिट्टी का पीएच मान  लगभग 6 पॉइंट 5 से लेकर 7 पॉइंट 5 तक का होना जरूरी होता है। धनिया की फसल के लिए सिंचाई पर ध्यान देना जरूरी है। यदि पानी की व्यवस्था ना हो तो आप भूमि में पलेवा देकर भूमि को उचित रूप से तैयार कर सकते हैं। इस प्रकार जुताई करने से भूमि में मिट्टी के ढेले नहीं बनते हैं। 

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धनिया बोने का उचित समय

धनिया की बुवाई का उचित समय रबी का मौसम होता हैं। अक्टूबर से लेकर नवंबर तक  धनिया बोने का सबसे उचित समय होता है। धनिया के पत्तों की अच्छी प्राप्ति के लिए फसल बोने का सही समय अक्टूबर से लेकर दिसंबर तक का बहुत ही उपयुक्त माना जाता है।पाले के खतरे से बचने के लिए धनिया को नवंबर के दूसरे सप्ताह में बोना आवश्यक होता है।

धनिया की फसल में खाद और उर्वरक

खेत को तैयार करते समय किसान भाई  प्रति हेक्टेयर क्षेत्र में 100 से लेकर 150 कुंटल सड़ी हुई गोबर की खाद का इस्तेमाल करते हैं। तथा 80 किलोग्राम नत्रजन और 50 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश की मात्रा का इस्तेमाल करते हैं। इन खादो को भली प्रकार से मिट्टी में मिलाया जाता है।

धनिया में सल्फर कब डालते हैं?

फसलों में सल्फर डालने का सही समय शाम का होता है। सल्फर को कुछ इस प्रकार से खेतों में डाला जाता है जैसे ;1 लीटर सल्फर को 1000 लीटर पानी में अच्छी तरह से मिलाकर फसलों पर छिड़काव करें। छिड़काव करते समय इस बात का ध्यान रखें। कि कोई जगह बचे नहीं खेतों में पूर्ण रूप से छिड़काव हो जाए। 

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 शाम का वक्त हो जाने पर खेतों में अच्छी तरह से हल्की सिंचाई करते समय मेढ़ के हर तरफ धुआं कर दें।

धनिया पीली क्यों पड़ जाती है?

धनिया की फसल की देरी से कटाई करने की वजह से धनिया में पीलापन आ जाता है। जो किसान भाइयों के हित में अच्छा साबित नहीं होता। इसीलिए धनिया की फसल की कटाई इसके सही समय पर करनी चाहिए। जब धनिया का दाना दबाने पर धनिया मे हल्का कठोर पन और पत्तिया पीली पड़ने लगे, धनिया डोड़ी दिखने में चमकीले भोरे तथा हरा रंग ,पीला होने पर और दानों में लगभग 18% नमी मौजूद रहे तभी कटाई करनी चाहिए। कटाई में की गई जरा सी भी देरी धनिया के रंगों को पूरी तरह से खराब कर देती है।

धनिया के लाभ

धनिया खाने से हमें विभिन्न विभिन्न प्रकार के लाभ होते हैं। क्योंकि धनिया खाने से विभिन्न प्रकार के रोग नष्ट हो जाते हैं तथा हमें उन रोगो से छुटकारा भी मिल जाता है। जैसे : धनिया खाने से हमारी पाचन शक्ति अच्छी रहती है, हमारे शरीर का कोलेस्ट्रॉल लेवल मेंटेन रहता है तथा डायबिटीज, किडनी आदि रोगों में भी यह काफी सहायक होती है। धनिया में मौजूद विभिन्न प्रकार के गुण जैसे फाइबर, कार्बोहाइड्रेट, वसा प्रोटीन, मिनरल आदि मौजूद होते हैं। यह सभी आवश्यक तत्व धनिया को और भी ज्यादा महत्वपूर्ण बनाते हैं।

 दोस्तों हम यह उम्मीद करते हैं, कि हमारा यह  धनिया का आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। हमारे इस आर्टिकल में धनिया से जुड़ी सभी प्रकार की जानकारियां मौजूद है। कृपया हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ सोशल मीडिया पर शेयर करें।

धनिया की खेती से होने वाले फायदे

धनिया की खेती से होने वाले फायदे

दोस्तों आज हम बात करेंगे धनिया की खेती की, धनिया खेती के लिए बहुत ही उपयोगी फसल मानी जाती हैं। क्योंकि बिना धनिया के किसी भी प्रकार का खाना अधूरा रह जाता है। धनिया की पूरी जानकारी प्राप्त करने के लिए हमारी इस पोस्ट के अंत तक जरूर बनाए हैं।

धनिया की खेती:

धनिया के इस्तेमाल से भोजन स्वादिष्ट बनता है तथा भोजन में खुशबू बनी रहती है। धनिया की पत्ती और मसालों में खड़ी धनिया दोनों खानों में अपना अलग ही स्वाद लगाते हैं। 

धनिया ना सिर्फ अभी बल्कि प्राचीन काल से ही मसालों में अपनी अलग भूमिका बनाए हुए है। भारत देश मसाले की भूमि मानी जाती है ऐसे में धनिया एक मुख्य और महत्वपूर्ण मसालों में से एक है।

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किसानों के अनुसार धनिया के बीजों में विभिन्न विभिन्न प्रकार के औषधीय गुण मौजूद होते हैं। इन औषधीय गुणों का उपयोग कुलिनरी , कार्मिनेटीव और डायरेटिक आदि के  रूप में किया जाता है।

धनिया की खेती करने वाले क्षेत्र:

किसानों को धनिया की खेती करने से अधिक लाभ पहुंचता है, क्योंकि यह कम लागत में भारी मुनाफा देने वाली फसलों में से एक हैं। कुछ ऐसे क्षेत्र हैं जहां धनिया की खेती भारी मात्रा में की जाती है। 

जैसे मध्यप्रदेश में करीबन धनिया की खेती 1,16,607 के आस पास होती हैं। 1,84,702 टन धनिया का भारी उत्पादन मिलता है। कृषि विशेषज्ञ के अनुसार धनिया के उत्पादन वाले और भी क्षेत्र हैं जहां पर धनिया की भारी उत्पादकता प्राप्त की जाती है। जैसे गुना, शाजापुर ,मंदसौर, छिंदवाड़ा, विदिशा आदि जगहों पर धनिया की फसल उगाई जाती है।

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धनिया की खेती करने के लिए उपयुक्त जलवायु का चयन :

धनिया की खेती के लिए सबसे उपयुक्त जलवायु शुष्क और ठंडे मौसम की जलवायु मानी जाती है। इन मौसमों में धनिया की खेती का भारी  उत्पादन होता है। धनिया के बीजों को अंकुरित या फूटने के लिए करीब 26 से लेकर 27 डिग्री सेल्सियस तापमान की आवश्यकता होती है। 

धनिया के बीजों के अंकुरित के लिए या तापमान सबसे उचित माना जाता है। किसानों के अनुसार धनिया शीतोष्ण जलवायु फसल है। इसीलिए इन के फूल और दानों को पाले वाले मौसम की जरूरत पड़ती है। कभी कभी धनिया की फसल के लिए पाले का मौसम नुकसानदायक भी होता है।

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धनिया की फसल के लिए भूमि को तैयार करना :

धनिया की फसल के लिए अच्छी दोमट वाली भूमि सबसे उपयोगी मानी जाती है। सिंचाई की व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अच्छी जल निकास वाली भूमि सबसे उपयोगी होती है। जो फसलें असिंचित होती हैं उनके लिए काली भारी भूमि ठीक समझी जाती है। 

इसीलिए किसानों के अनुसार धनिया की खेती के लिए सबसे उपयुक्त मिट्टी दोमट मिट्टी या फिर मटियार दोमट सबसे उपयोगी होती है। मिट्टियों का पीएच मान लगभग 6 पॉइंट 5 से लेकर 7 पॉइंट 5 का सबसे उपयोगी होता है। धनिया की फसल बुवाई करने से पहले खेतों को भली प्रकार से जुताई की आवश्यकता होती है। 

अच्छी गहराई प्राप्त हो जाने के बाद ही बीज रोपण का कार्य शुरू करें। धनिया की फसल के लिए भूमि को करीब दो से तीन बार अड़ी खड़ी जुताई की आवश्यकता होती है। जुताई करने के बाद खेतों में भली प्रकार से पाटा लगाना चाहिए।

धनिया की फसल बोने का सही समय चुने:

धनिया की फसल बोने का सही समय किसान अक्टूबर और नवंबर के बीच का बताते हैं। करीब 15 से 20 अक्टूबर के बीच धनिया की बुवाई का सबसे उपयुक्त समय माना जाता है। 

धनिया की फसल रबी मौसम में बोई जाने वाली फसल है। धनिया की फसल की बुवाई से किसानों को बहुत लाभ पहुंचता है।अक्टूबर में धनिया के दाने आना शुरू हो जाते हैं। तथा नवम्बर में हरे पत्ते फसल बनकर लहराने लगते हैं। पाले से फसल की खास देखभाल करने की आवश्यकता होती है।

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धनिया की फसल को सुरक्षित रखने के लिए बीज उपचार:

धनिया की फसल को सुरक्षित रखने के लिए  रोगों से बचाव के लिए कार्बेंन्डाजिम और थाइरम का प्रयोग करना चाहिए। इनके इस्तेमाल से भूमि और बीजों दोनों का ही रोगों से बचाव होता है। 

जिन रोगों से फसलें खराब होने का भय रहता है, जनित रोगों से बचाव के लिए 500 पीपीएम तथा में बीजों को स्टे्रप्टोमाईसिन द्वारा उपचार करना चाहिए।

धनिया की फसल में उपयुक्त सिंचाई:

धनिया की फसल की पहली सिंचाई बीज रोपण करते समय करनी चाहिए। उसके बाद दो-तीन दिन के भीतर तीन से चार बार सिंचाई की आवश्यकता होती है। सिंचाई करते वक्त आप को जल निकास की व्यवस्था को सही ढंग से बनाए रखना होगा, ताकि किसी भी प्रकार का रोग या जल एकत्रित होकर फसल खराब ना होने पाए। 

किसानों के अनुसार धनिया की फसल उनकी आय के साधन को मजबूत बनाते हैं। धनिया की पत्तियां और धनिया के बीच दोनों ही उपयोगी होते हैं। दोस्तों हम उम्मीद करते हैं। कि आपको हमारा यह आर्टिकल धनिया की खेती से होने वाले फायदे पसंद आया होगा। 

हमारे इस आर्टिकल  में सभी प्रकार की आवश्यक जानकारियां मौजूद है जो आपके बहुत काम आ सकती है। यदि आप हमारी दी गई सभी प्रकार की जानकारियों से संतुष्ट हैं। तो हमारे इस आर्टिकल को ज्यादा से ज्यादा अपने दोस्तों के साथ तथा अन्य सोशल प्लेटफॉर्म पर शेयर करें। धन्यवाद।

सुगंधित धनियां लाए खुशहाली

सुगंधित धनियां लाए खुशहाली

धनियां मसालों और आमतौर पर हर घर में उपयोग में लाया जाता है। इसके पत्तों की महक किसी भी सब्जी के जायके में चार चांद लगाने का काम करती है। इसमें अनेक ओषधीय गुण भी हैं। इसके चलते इसकी खेती बेहद लाभकारी है। इसकी खेती देश के आधे से हिस्से में कम कहीं ज्यादा होती है। इसकी खेती के लिए भी बलुई दोमट मिट्टी अच्छी रहती है। बेहतर जल निकासी वाली जमीन में धनियां लगाया जाना उचित होता है। धनियां को कतर कर बेचना एवं जड़ सहित बेचने की प्रक्रिया मंडियों के अनुरूप अपनाएं। 

धनियां की किस्में

 

 वर्तमान दौर में किसी भी खेती के लिए उस इलाके के चिए संस्तुत किस्मों का चयन बेहद जरूरी है। राजस्थान के कोटा अदि में धनियां की अच्छी खेती होती है। वहां की किस्में भी कई गर्म इलाकों में बेहद अच्छी सुगंध और उत्पादन दानों दे रही हैं। इसके अलावा गुजरात धनियां 1 व 2, पंत धनियां 1, मोरोक्कन, सिमपो एस 33, ग्वालियर 5365, जवाहर 1, सीएस 6, आरसीआर 4, सिंधु, हरीतिमा, यूडी 20 साहित अनेक किस्में बाजार में मौजूद हैं। किसानों को सलाह दी जाती है कि वह किसी भी नई खेती को करने से पूर्व अपने जनपद के कृषि या उद्यान अधिकारी या कृषि विज्ञान केन्द्रों के विशेषज्ञों से संपर्क करें ताकि उन्हें उचित जानकारी प्राप्त हो सके।

धनियां की खेती के लिए जमीन की सिंचाई कर तैयार करें। इससे पूर्व सड़ी हुई गोबर की खाद खेत में जरूर डालें। धनियां की बिजाीई हेतु 5-5 मीटर की क्यारियां बना लें, जिससे पानी देने में और निराई-गुड़ाई का काम करने में आसानी रहे। 

बुवाई का समय

 

 धनिया की फसल के लिए अक्टुंबर से नवंबर तक बुवाई का उचित समय रहता है। बुवाई के समय अधिक तापमान रहने पर अंकुरण कम हो सकता है। बुवाई का निर्णय तापमान देख कर करें। क्षेत्रों में पला अधिक पड़ता है वहां धनिया की बुवाई ऐसे समय में न करें, जिस समय फसल को अधिक नुकसान हो।

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बीजदर व बीजोपचार

 

 धनियां का 15 से 20 किलोग्राम बीज पर्याप्त होता है। बीजोपचार के लिए दो ग्राम कार्बेंडाजिम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित करें। बुवाई से पहले दाने को दो भागों में तोड़ देना चाहिए। ऐसा करते समय ध्यान दे अंकुरण भाग नष्ट न होने पाए और अच्छे अंकुरण के लिए बीज को 12 से 24 घंटे पानी में भिगो कर हल्का सूखने पर बीज उपचार करके बोएं। सिंचित फसल में बीजों को 1.5 से 2 सेमी. गहराई पर बोना चाहिए, क्योंकि ज्यादा गहरा बोने से सिंचाई करने पर बीज पर मोटी परत जम जाती हैं, जिससे बीजों का अंकुरण ठीक से नहीं हो पाता हैं।

खरपतवार नियंत्रण

धनिये में शुरूआती बढ़वार धीमी गति से होती हैं इसलिए निराई-गुड़ाई करके खरपतवारों को निकलना चाहिए। सामान्यतः धनिये में दो निराई-गुड़ाई पर्याप्त होती है। पहली निराई-गुड़ाई के 30-35 दिन पर व दूसरी 60 दिन पर अवश्य करेंं। खरपतवार नियंत्रण के लिए पेन्डीमिथालीन 1 लीटर प्रति हेक्टेयर 600 लीटर पानी में मिलाकर अंकुरण से पहले छिड़काव करें। ध्यान रखें कि छिड़काव के समय भूमि में पर्याप्त नमी होनी चाहिए और छिड़काव शाम के समय करें।